मां भारती पर सैकडों वीरों द्वारा सर्वोच्च बलिदान देकर जीता गया कारगिल युद्ध
Charkhi Dadri News : कारगिल विजय दिवस के अवसर पर स्थानीय आर्यन कोचिंग सेंटर परिसर में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसकी अध्यक्षता सेंटर संचालक मास्टर रविंद्र सांगवान ने की। आयोजन के दौरान इस युद्ध में देश के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले सभी वीर सपूतों को नमन किया गया। दो मिनट का मौन रखकर उन्हें श्रद्धाजंली दी गई। इसके साथ ही युवाओं से आहवान किया गया कि वो देश की अस्मिता की रक्षा हेतु सदैव तत्पर रहे।
मास्टर रविंद्र सांगवान ने कहा कि कारगिल में भारत के रणबांकुरों का दुश्मन के खिलाफ किया गया सिंहनाद वर्ष 1999 से लेकर आज तक उसी वेग से गूंज रहा है। भारतीय सेना के अदम्य साहस और वीरता ने दुश्मन को एक बार फिर यह बता दिया कि उसके रहते तिरंगे की आन-बान और शान में रत्ती भर की भी कमी नहीं आ सकती। कारगिल युद्ध में मांभारती की रक्षा के लिये हमारे वीर जवानों ने पराक्रम की नई परिभाषा लिखी। भारतीय सैनिकों ने कारगिल युद्ध में जिस प्रकार की परिस्थितियों में वीरता का परिचय देते हुए घुसपैठियों को सीमा पार खदेड़ा, उससे पूरे विश्व ने भारतीय सेना का लोहा माना। कारगिल युद्ध में देश की सीमाओं की रक्षा के लिए वीर सैनिकों के बलिदान को राष्ट्र हमेशा याद रखेगा।
कारगिल विजय दिवस की कहानी 1999 में कारगिल युद्ध से शुरू हुई, यह एक चुनौतीपूर्ण समय था जिसने भारतीय राष्ट्र के संकल्प की परीक्षा ली। पाकिस्तानी सैनिकों और आतंकवादियों ने जम्मू और कश्मीर के कारगिल में नियंत्रण रेखा (एलओसी) के साथ भारतीय क्षेत्रों में घुसपैठ की, जिससे दोनों देशों के बीच गंभीर सैन्य संघर्ष हुआ। भारत ने ऑपरेशन विजय के साथ जवाब दिया, जो अपनी भूमि को पुनः प्राप्त करने और घुसपैठियों को बाहर निकालने के उद्देश्य से एक व्यापक सैन्य रणनीति थी। भीषण युद्ध और अपार बलिदानों के बाद, भारत ने 26 जुलाई, 1999 को सभी भारतीय चौकियों पर सफलतापूर्वक कब्ज़ा कर लिया। इस विजयी दिन ने कारगिल युद्ध की समाप्ति को चिह्नित किया और तब से इसे हर साल कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है।
इस अवसर पर सहसंचालक श्री भगवान, जे.पी.वर्मा, बालकिसन शर्मा, मंजीत मांढी, अभिषेक रूदड़ोल, पूजा, रानी सहित समस्त स्टाफ उपस्थित था।